सामान्य ज्ञान
* यह सभ्यता 2350 से 1750 ई ॰ पू॰ तक की है ।
* 1921 ई ॰ मे रायबहादुर दयाराम साहनी खोज की ।
* इस सभ्यता को प्राकेतिहासिक या कास्य युग मे रखा जाता है ।
* आग मे पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है ।
* स्थल नदी स्थान खोजकर्ता
हड़प्पा रावी पाकिस्तान (मोंटागिरी) 1921 रायबहादुर दयाराम साहनी
मोहंजोदड़ों सिन्धु पाकिस्तान (लरकाना) 1922 राखालदास बनर्जी
कोटदीजी सिन्धु सिन्ध का खैरपुर 1953 फजल अहमद
चांहूदड़ों सिन्धु पाकिस्तान (सिन्ध) गोपाल माजूमदार
लोथल भोगवा गुजरात (अहमदाबाद)1957-58 रंगनाथ राव
सिन्धु घाटी सभ्यता
* यह सभ्यता 2350 से 1750 ई ॰ पू॰ तक की है ।
* 1921 ई ॰ मे रायबहादुर दयाराम साहनी खोज की ।
* इस सभ्यता को प्राकेतिहासिक या कास्य युग मे रखा जाता है ।
* आग मे पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है ।
* स्थल नदी स्थान खोजकर्ता
हड़प्पा रावी पाकिस्तान (मोंटागिरी) 1921 रायबहादुर दयाराम साहनी
मोहंजोदड़ों सिन्धु पाकिस्तान (लरकाना) 1922 राखालदास बनर्जी
कोटदीजी सिन्धु सिन्ध का खैरपुर 1953 फजल अहमद
चांहूदड़ों सिन्धु पाकिस्तान (सिन्ध) गोपाल माजूमदार
लोथल भोगवा गुजरात (अहमदाबाद)1957-58 रंगनाथ राव
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लोथल सिंधु सभ्यता का बन्दरगाह था ।
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मोहनजोदड़ों मे एक बड़ा स्नानागार (11.88 m
x 7.01 m x 2.43 m ) प्राप्त हुआ, जिसका उपयोग आनुष्ठानिक स्नान
के लिए होता था।
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नगरो मे अनाज के भंडारण के लिए अन्नागार होते थे ।
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सभ्यता का विस्तार पंजाब, सिंध, बलूचीस्थान, गुजरात, राजस्थान, जम्मू और पश्चिमी उत्तर प्रदेश था।
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यहा के प्रमुख अनाज गेहू तथा जौ थे।
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विश्व मे सर्वप्रथम कपास की खेती का प्रारम्भ यही हुआ।
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यहा की मुहरे तथा वस्तुए पश्चिम एशिया तथा मिस्र मे मिली
है।
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समाज व्यवसाय के आधार पर चार भागो मे विभाजित था- विद्वान, योद्दा, व्यापारी शिल्पकार।
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पासा इस युग का प्रमुख खेल था।
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स्वास्तिक चिन्ह हड़प्पा सभ्यता की दें है।
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सिंधु सभ्यता की लिपि मे 400 अक्षर तथा 600 चित्र है, जिसे पड़ा नहीं जा सका है।
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यह लिपि पहली पंक्ति मे दाए से बाए तथा दूसरी बाए से दाए
लिखी जाती थी, जिसे
बाउस्ट्रोफिदान कहते।
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पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ों को एक विस्तृत साम्राज्य
की जुड़वा राजधानी कहा है।
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सभ्यता मातृसत्तात्मक था क्योकि यहा स्त्री मृंमूर्तिया
अधिक मिली है।
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यहा के लोग सूती तथा ऊनी वस्त्रो का उपयोग करते थे।
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कालीबंगा एक मात्र शहर था, जो किले से घिरा हुआ था।
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आजादी के बाद सर्वाधिक स्थान गुजरात मे खोजे गए है।
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केवल लोथल के नगर के घरो के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते
थे।
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सिंधुवासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे।
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लोथल एवं रंगपुर से चावल के दाने मिले है।
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घोड़े के अवशेष लोथल, कालीबंगन एवं सुरकोटदा से मिले है।
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फाख्ता पवित्र पक्षी माना जाता था।
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देवी देवता के उपासना पर
बाली का विधान था।
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